Monday, July 30, 2012

जय सीताराम गुण

श्रद्धा से हम राम गुण गावें
मन कर्म और वचन से राम के हो जावें
वो है मर्यादा पुरुषोत्तम राम
पतितपावन सीताराम
है बड़े भाग्य हमारे की हमें राम कृपा है मिली
आओं चलें शरण राम की कृपा करेंगे भगवान
हैं सखा जिनके हनुमान
पतितपावन सीताराम
श्री राम के द्वारे हम जावें पुष्पों की माला बरशावे
झूठ कपट को त्याग कर, श्री राम मय हम हो जावें
जनक नंदिनी के श्री राम
पतितपावन सीताराम
हृदय बार बार ये गावे दरशन से ही प्रफुल्लित हो जावे
दिनन के हैं सहाइ जो पीड़ा सारी हरते हैं वो
दशरथ जी के दुलारे राम
पतितपावन सीताराम
भक्तन के दुख हरते राम
पतितपावन सीताराम

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