Wednesday, March 24, 2010

गम

न ही तुम्हे हम नज़र आतें हैं
न ही हमारे गम नज़र आतें है
दिल है हमारा नाज़ुक जो एक पल मै टूट जाता है
जब मिलता है साथ तुम्हारा
मिलके भी इस कदर छूट जाता है
कुछ तुम्हारी ख़ता कुछ हमारी ख़ता होती है
कभी तो होती थी आँखों से बात
अब तो सामने भी बात न होती है
क्या यूँ ही रूठ रूठ कर दिल जला करेंगे
दिल का दर्द भी हम फिर किसको बयान करेंगे
वक्त तुम्हारा तो गुजर जाएगा लोगों में
पर हम घर में यूँ ही घुट घुट कर मरा करेंगे

Friday, March 19, 2010

माता वैष्नव देवी

त्रिकूट पर्वत पर विराजमान मैया वैष्नव देवी है
के दिन देखो माता की ज्योति जागी है
मनोकामना पूरी करेहै माता वैष्नव देवी है
माता के द्वार पे देखो भक्तों की भीड़ बड़ी है
झोली हमरि खाली है माँ कब से मन ये तरस रहा
दुखड़ा हम का से कहें माँ अब तो आके कृपा बरसा
जीवन है अर्पण तुझपे की वो है पहाड़ा वाली माँ
देंगी खुशियाँ जीवन में मेरी ज्योता वाली माँ
अशांति और विपदा ने घेरा, पल पल मन ये डरता है
एक तू ही आश है माता मोको जग से तो डर लगता है
कृपा करेंगी वैष्नव देवी यही आश जगी है
त्रिकूट पर्वत पर देखो माता की ज्योति जगि है

Monday, March 15, 2010

भक्त तुलसीदास

तुलसीदास जी के बड़े भाग्य
जिनको राम कृपा है मिली
रचना की राम चरित मानस
जन जन फैलाई भक्तिमय धारा
गाये राम के गुण जिसने
पढ़ हुआ धन्य सारा जन मानस
तुलसी जी के बड़े भाग्य
दरशन हुए जिनको सियाराम के
हरपल गाते थे जो गुण
उन मर्यादा पुरुषोत्तम राम के
आज देखो पढ़ राम चारितमानस
सारा जग गुण गाता है
हर घर हर मंदिर में
आज भी यह मानस पढ़ा जाता है
जिसने भी यह मानस पढ़ कर जाना है प्रभु राम को
निरमल मनोहर मूरत वाले सुखधाम को
जीवन में आनंद भर जावे
तुलसी जी की तरह ही
तोहे राम कृपा मिल जावे

Sunday, March 14, 2010

दोस्ती

दोस्ती बनती है तो दोस्त अच्छे लगते हैं
बचपन के दोस्त भी कभी सच्चे लगते हैं
दोस्त बनते हैं जब तो उनकी जुदाई का गम होता है
सच्चे दोस्त मिल जाएँ जिसे वो बड़ा खुशनसीब होता है
दूर रहकर ही पता होता है की
क्या होते है फासले
दोस्त बनाने के भी चलते रहेंगे सिलसिले
भीड़ में कभी कोई दोस्त अच्छा मिल जाता है
कभी कोई झूठा तो कभी सच्चा मिल जाता है
दोस्तों की सही पहचान भी कैसे मिले
की दोस्त बनाने के भी चलते रहेंगे सिलसिले
की इस दिल के कोने में एक ऐसी आस है
हमें एक सच्चे दोस्त की तलाश है

Friday, March 12, 2010

तपता रेगिस्तान

तपती दोपहरी में पसीने से
भीगा हुवा ये तन
दूर एक रेगिस्तान में
पानी को तरस रहा है ये मन
है इसी आस में की बारिश तो होगी कभी
हमारे सुने से आँगन में
कोई फुलवारी तो खिलेगी कभी
तपती रेत पर कभी एक पानी की बूँद न गिरी
रेगिस्तान में एक घर में जला रही है दोपहरी
रेत के टिलों में पेड़ की छाव को
तरस रहा है ये मन
कभी तो बारिश होगी
कभी तो भिगेगा ये तन
तपता रेगिस्तान है फिर भी प्यारा यहाँ का घर
बारिश न आए तो भी
रहना है यहाँ सारी उमर

Wednesday, March 10, 2010

गुरुस्थल

मन कर्म और वचन से करो गुरुदेव जी को याद
सफल होगी मनोकामना मिट जाएँगे सारा विषाद
भई भक्तों की भीड़ देखो आएँ सारे शीश नवाने को
एक झलक को मन व्याकुल गुरु के शरण में जाने को
दरशन देते हैं जब गुरुदेव मन भाव विभोर हो जाता है
अश्रु निकल आते हैं हमारी वाणी से न कुछ कहा जाता है
हम तो अज्ञानी है गुरुदेव जी आप ही रास्ता दिखलाने वाले
अच्छे कर्म करें हम प्रभु जी,ऐ ज्ञान के दीप जलाने वाले
आओ श्रद्धा पूर्वक हम गुरु स्थल को जाते हैं
फिर से गुरुदेव के चरणों में अपना शीश नवाते हैं

Tuesday, March 9, 2010

राम स्तुति

प्रेममगन हम भए राम के||निरमल मनोहर उन सुखधाम के||
सुनहू प्रभु मोरे रघुराया||दरशन दो मोहे कब करहु तुम्ह दाया||
हे हनुमान जी मनाओ प्रभु को||जो मैं मूरख हूँ तो ज्ञान दो अब मोको||
जनक कुमारी के संग प्रभु जी||धनुष बांण धारण कर आएं लक्ष्मण जी||
हम दिनन को अब दरश दिखाओ||विलंब न करो प्रभु कृपा बरसाओ||
अब तो राम मय हुवा ये मन|| अर्पित प्रभु तोपे सारा जीवन||
हमरे बिगड़े काज संवारो||सबको तारा अब हमका तारो ||
राम कृपा जा पर भी होवे||वो न सपनेहुँ कभी दुख पावे||
झूठ कपट न मन अपनावे||जो मन राम के पथ पर जावे||
हम दिनन है प्रभु दास तोरे||देर भयि अब कृपा करो प्रभु मोरे||
रघुपति चरण भगति हम पावे||जीवन अपना धन्य बनावे||
अब विलंब काहे करो हो स्वामी||कब राखोगे प्रभु लाज हमारी||
मोको भरोशो है प्रभु राम पर||माता सिया के सुख धाम पर||
भक्तों के संकट निवारण वाले||हमरि गति सँवारन वाले||
हम जानत है प्रताप तोरे रघुराई||आप हु करो प्रभु बेगी उपाई||
अहो भाग्य जो कृपा भयि राम की||बूटी मिली अब हमको राम नाम की||


जो यह स्तुति पढ़े राम की
जीवन सब का धन्य हो जावे||
सुख सम्पति दीर्घ आयु हो
तोहे राम कृपा मिल जावे

Monday, March 8, 2010

मानवता का उजाला

धर्म का नामों निशाँ नहीं
आँधियाँ चल रही पाप की
ज्ञान खोखला हो गया दोस्ती भी बस नाम की
हर तरफ आतंक की है ज्वाला
आतंक के साए में क्या डर ही है रहने वाला
कब ख़त्म होगा आतंकियों का ज़लज़ला
ना जाने कब से चला आ रहा है ये सिलसिला
ईश्वर रहम करे अपने लोगों पर
या अल्लाह अपने बन्दो पर करम कर
आतंकियों को सही रास्ते पर कौन लाए
या तो खुदा ही उन्हें कुछ सदबुधि दे जायें
कब होगा नया सवेरा,मानवता का उजाला
ईश्वर ही है हम बन्दो का रखवाला

आँखें

जाने क्या कुछ कहा जाती हैं ये आँखे
ये तेरी आँखें ये मेरी आँखें
कभी कभी तो नज़ाकत भरी होती है ये आँखें
कभी थोड़ी सी शरारत भरी होती है ये आँखें
इन आँखों में थोड़ी सी हया भी तो होती है
आँखों से मोहोब्बत बयाँ भी तो होती है
खूबसूरत सी तसवीर हैं ये जो आँखे
एक प्यार की तबदीर हैं ये जो आँखें
आँखों में मासूमियत भी तो नज़र आती है
नज़र उठती है तो कभी शरमाती है
अलग अंदाज बयाँ करती हैं ये आँखें
देखकर तुमको कभी घबराती है जो ये आँखें
तेरी आँखों में नज़र आती है मेरी आँखें

नंद के लाल ओ घनश्याम

नंद के लाल ओ घनश्याम
आ सुनदे बाँसुरी हमै
कब से मन तरस रहा देखने को तुम्हे
नंद के लाल ओ घनश्याम
आओ जमुना के तीर चलें
संग संग है राधा रानी गोपियों को भी कहकर चलें
नंद के लाल ओ घनश्याम
नटखट है तू श्याम सलोना
चंचल है रूप मनोहारी
माने ना किसी का भी कहना
नंद के लाल ओ घनश्याम
माखन भी है पास मेरे
कब से रास्ता देख रही कब आओगे मेरे द्वारे

कान्हा श्याम सलोने कान्हा

कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा
मेरे द्वारे कब आओगे
फिर से बांशुरी की मधुर मधुर सी धुन
हमको कब सूनाओगे ओ कान्हा
वृंदावन में फिर से तुम गोपियों संग
होली खेलन को कब आओगे
राधाजी को संग लिए मेरे द्वारे कब तुम आओगे
कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा
कब तुम वो नटखट सा मनोहारी रूप दिखाओगे
फिर से यमुना जी के तट पर गेंद खेलन को कब आओगे
कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा
कब तुम गांव की ग्वालन के माखन झूम झूम कर खाओगे
वृंदावन में फिर से तुम कब दरश हमें दिखाओगे
कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा

Sunday, March 7, 2010

राम राम बस राम

करो स्मरण ऐ दुखी मन
बस राम राम बस राम
निराश ना हो यूँ बैठे बैठे
दुखड़ा क्यों तू रोए है
नाम प्रभु का तु जप ले हर पल
ऊँचे सपनों में क्यों तु खोए है
ईश्वर भी तो एक है
चाहे रहीम हो चाहे राम
मन के सारे मैल धुलेंगे
जीवन का एक पल तो दो प्रभु के नाम
मोह माया में जकड़ा हुवा है
भोगों में क्यों घुला हुआ है
शरण आओ तुम पहले प्रभु के
धुल जाएँगे सारे पाप
मोह माया ना ज़कड सकेगी
पा लोगे तुम पार की हर पल जप लो
प्रभु का नाम बस राम राम बस राम

यादें

जो है प्यारा हमें अपनी जाँ की तरह
वही पेश आता है अब तो ना मेहरबाँ की तरह
रोने की आदत न थी हमको
पर वो क्यों रुला रहे
ऐसे क्यों वो हो गये हैं
जो खुद बेवफा कहला रहे
ये दर्द छुपा हुवा था दिल में जिस तरह
इसे बताया भी तो कैसे जाए
जो था दिल के करीब इस तरह
उसे ही भुलाया भी तो कैसे जाए
अब तो तन्हा रहकर भी महफ़िल में भटकते हैं
की महफ़िल में रहकर भी तनहा से रहते हैं
रह रहकर ये दर्द आँखों में उभरता है जिस तरह
बस यादें लेकर जिसकी अब जी रहें हैं हर तरह

गुरु कृपा

गुरु कृपा जब हो जाती है
सारी बाधाएँ खो जाती है
संकट सारे टल जाते हैं
जब गुरु कृपा मिल जाती है
हर वक्त उन्हीं का ध्यान करें
गुरु नाम का ही जप करें
अच्छे कार्य करते जाएँ
बस उन्हीं का तप करें
गुरु ध्यान से ही तो शिव कृपा मील जाती है
गुरुब्रम्ह गुरुविश्नु गुरुमहादेव कहलाते हैं
शाम सुबह हर वक्त हमें अपने गुरुदेव याद आते हैं
सारी ख़ुशियाँ मील जाती है की
जब गुरु कृपा हो जाती है

Saturday, March 6, 2010

ये मेरा मन

क्यों ये मन पंछी की तरह
हवा में उड़ने को मचलता है
क्यों जाते हुए बादलों के संग
साथ हो जाने को मन करता है
क्यों ये मन सागर की लहरों में
भीग जाने को मचलता है
क्यों बारिश की बूँदों मै
जो भीग जाने को मन करता है
मन तो चंचल है हर वक्त बदलता रहता है
जो ये मौसम है वैसा ही तो होता है
मन का क्या है कब किस में खो जाता है
और कब किसका हो जाता है
बाँवरा मन है ये मेरा मन है

Friday, February 26, 2010

गुरु स्मरण

गुरुदेव के चरणों में अर्पित पुष्पों की माला हैं
रामानंद सम्प्रदाय का जिन्होंने किया उजाला हैं
नये युग में जो देखों मानव सेवा हैं कर रहें
अमीर ग़रीब सब की खुशियों से झोली भर रहें
त्रिवेणी स्थल में जाकर हमै अपना जीवन धन्य बनाना हैं
गुरुदेव के वचनों को हमें अपने जीवन में अपनाना हैं
हिंदू धर्म प्रचलित करते और दिन दुखियों का उद्धार करें
राम नाम की बूटी देते और जग में सबका उपकार करें
निश दिन राम का नाम जपें और उन्हीं के शरण हों जाना हैं
गुरुदेव का स्मरण करके हम सब कों तर जाना हैं

Thursday, February 25, 2010

प्रार्थना

सारी विपदा टाल कर प्रभु हम पर करम करे
है प्रभु आप हमारे आप ही दुख़ का हरण करे
दुख़ जीतने भी आते उनको आप मिटाने वाले
बस प्रभु नाम आपका हर पल हम स्मरंण करे
है प्रभु ये जीवन आपका ,आप ही रक्षा करने वाले
आपके द्वारे आकर बस, हम आपके चरण पड़े
गुरु की वंदना जिसने की, उसकी नय्या पार हुई
प्रातः समय उठकर हम, बस उन्ही को नमन् करें
गुरू ब्रम्‍हा,गुरू विष्णु, रामायण वेद बताते हैं
गुरू के आगे हम अर्पण ये सारा जीवन करें

Tuesday, February 23, 2010

मोहब्बत

हमारी राहतों को जो थोड़ी सी राहत मिल जाए
और कुछ न सही, पर तुम्हारी मोहब्बत मिल जाए
बन्द आँखों से भी जिसे देखते हैं हम
उसे ही प्यार करने कि इजाज़त जो मिल जाए
छुपे हुये थे जो धड्कनो की आवाज़ मे
तुम वही तो थे, जिसे देखा था कभी ख्वाब मे
न तो कोइ और चाह है इस दिल में
कि हजार मिल जाए चाहे कोइ महफिल में
हमें तो सिर्फ बस आपकी इबादत जो मिल जाए
कि हम तो क्या, हमारी दुनिया ही बदल जाए

Monday, February 22, 2010

मंजिल

रोज सुबह यही सोचते हैं,
कि अब घर से निकले मंजिल को जायेंगे
फिर शाम हम वापस आ जायेंगे
इस जिन्दगी का हर पल ऐसे ही बिताना है
क्या है अभी पास, की अभी और भी तो पाना है
ये दिल अभी चाहता है और क्या
थोडी सी खुशी और तुम्हारा प्यार
है बहोत कुछ, मगर फिर भी
अपने अरमानो का कभी तो जस्न मनायेंगे
वक्त नही फिर भी कुछ पल तो निकाल ले जायेंगे

इन्तजार

हर पल जीने को मचलते है हम
पर हमारी खुशियों को छीन लेता है कोइ
इस पर यदि हम टूट जाते है
तो जीने का अधिकार भी छीन लेता है कोइ
कोइ गम न था ऐसा जो आन्शु मे न बहा
दुनिया तो कहती है किसिसे पर हमने न किसिसे कहा
तुमसे दूर रहने का बढता जाता है जो गम
आन्खे भी लाल सुर्ख हो गयी
ना तो जागी रही न ही मै सोयी
था तो बस तुम्हारा इन्तजार रहता था
पलक के सामने जो दरवाजा खुला रहता था
इस इन्तजार मे कि तुम आ कह सुनाओगे
कि अब रहा नहि जाता कब अपना बनाओगे