Saturday, March 6, 2010

ये मेरा मन

क्यों ये मन पंछी की तरह
हवा में उड़ने को मचलता है
क्यों जाते हुए बादलों के संग
साथ हो जाने को मन करता है
क्यों ये मन सागर की लहरों में
भीग जाने को मचलता है
क्यों बारिश की बूँदों मै
जो भीग जाने को मन करता है
मन तो चंचल है हर वक्त बदलता रहता है
जो ये मौसम है वैसा ही तो होता है
मन का क्या है कब किस में खो जाता है
और कब किसका हो जाता है
बाँवरा मन है ये मेरा मन है

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