Monday, March 8, 2010

मानवता का उजाला

धर्म का नामों निशाँ नहीं
आँधियाँ चल रही पाप की
ज्ञान खोखला हो गया दोस्ती भी बस नाम की
हर तरफ आतंक की है ज्वाला
आतंक के साए में क्या डर ही है रहने वाला
कब ख़त्म होगा आतंकियों का ज़लज़ला
ना जाने कब से चला आ रहा है ये सिलसिला
ईश्वर रहम करे अपने लोगों पर
या अल्लाह अपने बन्दो पर करम कर
आतंकियों को सही रास्ते पर कौन लाए
या तो खुदा ही उन्हें कुछ सदबुधि दे जायें
कब होगा नया सवेरा,मानवता का उजाला
ईश्वर ही है हम बन्दो का रखवाला

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