Monday, March 8, 2010

कान्हा श्याम सलोने कान्हा

कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा
मेरे द्वारे कब आओगे
फिर से बांशुरी की मधुर मधुर सी धुन
हमको कब सूनाओगे ओ कान्हा
वृंदावन में फिर से तुम गोपियों संग
होली खेलन को कब आओगे
राधाजी को संग लिए मेरे द्वारे कब तुम आओगे
कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा
कब तुम वो नटखट सा मनोहारी रूप दिखाओगे
फिर से यमुना जी के तट पर गेंद खेलन को कब आओगे
कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा
कब तुम गांव की ग्वालन के माखन झूम झूम कर खाओगे
वृंदावन में फिर से तुम कब दरश हमें दिखाओगे
कान्हा ओ श्याम सलोने कान्हा

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