Wednesday, March 10, 2010

गुरुस्थल

मन कर्म और वचन से करो गुरुदेव जी को याद
सफल होगी मनोकामना मिट जाएँगे सारा विषाद
भई भक्तों की भीड़ देखो आएँ सारे शीश नवाने को
एक झलक को मन व्याकुल गुरु के शरण में जाने को
दरशन देते हैं जब गुरुदेव मन भाव विभोर हो जाता है
अश्रु निकल आते हैं हमारी वाणी से न कुछ कहा जाता है
हम तो अज्ञानी है गुरुदेव जी आप ही रास्ता दिखलाने वाले
अच्छे कर्म करें हम प्रभु जी,ऐ ज्ञान के दीप जलाने वाले
आओ श्रद्धा पूर्वक हम गुरु स्थल को जाते हैं
फिर से गुरुदेव के चरणों में अपना शीश नवाते हैं

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