Sunday, March 7, 2010

राम राम बस राम

करो स्मरण ऐ दुखी मन
बस राम राम बस राम
निराश ना हो यूँ बैठे बैठे
दुखड़ा क्यों तू रोए है
नाम प्रभु का तु जप ले हर पल
ऊँचे सपनों में क्यों तु खोए है
ईश्वर भी तो एक है
चाहे रहीम हो चाहे राम
मन के सारे मैल धुलेंगे
जीवन का एक पल तो दो प्रभु के नाम
मोह माया में जकड़ा हुवा है
भोगों में क्यों घुला हुआ है
शरण आओ तुम पहले प्रभु के
धुल जाएँगे सारे पाप
मोह माया ना ज़कड सकेगी
पा लोगे तुम पार की हर पल जप लो
प्रभु का नाम बस राम राम बस राम

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