Friday, March 19, 2010

माता वैष्नव देवी

त्रिकूट पर्वत पर विराजमान मैया वैष्नव देवी है
के दिन देखो माता की ज्योति जागी है
मनोकामना पूरी करेहै माता वैष्नव देवी है
माता के द्वार पे देखो भक्तों की भीड़ बड़ी है
झोली हमरि खाली है माँ कब से मन ये तरस रहा
दुखड़ा हम का से कहें माँ अब तो आके कृपा बरसा
जीवन है अर्पण तुझपे की वो है पहाड़ा वाली माँ
देंगी खुशियाँ जीवन में मेरी ज्योता वाली माँ
अशांति और विपदा ने घेरा, पल पल मन ये डरता है
एक तू ही आश है माता मोको जग से तो डर लगता है
कृपा करेंगी वैष्नव देवी यही आश जगी है
त्रिकूट पर्वत पर देखो माता की ज्योति जगि है

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