Tuesday, February 23, 2010

मोहब्बत

हमारी राहतों को जो थोड़ी सी राहत मिल जाए
और कुछ न सही, पर तुम्हारी मोहब्बत मिल जाए
बन्द आँखों से भी जिसे देखते हैं हम
उसे ही प्यार करने कि इजाज़त जो मिल जाए
छुपे हुये थे जो धड्कनो की आवाज़ मे
तुम वही तो थे, जिसे देखा था कभी ख्वाब मे
न तो कोइ और चाह है इस दिल में
कि हजार मिल जाए चाहे कोइ महफिल में
हमें तो सिर्फ बस आपकी इबादत जो मिल जाए
कि हम तो क्या, हमारी दुनिया ही बदल जाए

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